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पानीपत। फैमिली कोर्ट में शनिवार को आयोजित लोक अदालत में न्यायाधीश ने बिछड़े हुए दंपतियों को मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाइश देते हुए 20 जोड़ों को फिर एक कर दिया। आपसी सुलह के लिए 197 केस रखे गए थे। इनमें 85 प्रकरणों में भरण पोषण की राशि आदि को लेकर समझौता हुआ। द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश रेणुका कंचन ने कहा- जिस तरह नाखून बढ़ने पर अंगुली नहीं काटी जाती, नाखून ही काटे जाते हैं, उसी तरह रिश्तों में दरार आ जाए तो दरार को मिटाइए, रिश्ते नहीं। पति से अलग रह रही नजमा ने पति फिरोज के खिलाफ भरण पोषण का केस लगाया था। इनकी शादी वर्ष 2014 में हुई और एक बेटी भी है। मामूली विवाद के चलते दोनों करीब सालभर से अलग थे। जज की समझाइश पर वे साथ रहने को तैयार हो गए। जज ने उन्हें सुलह यादगार बनाने के लिए पौधा भेंट किया।
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