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विश्वविद्यालय नया शोध नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें परीक्षा कराने वाली फैक्ट्री बने रहना ठीक नहीं है। वहां जो शिक्षक हैं और जिन्होंने डाॅक्टरेट ली हुई है, उन्हें भी सोचना होगा कि हमने दुनिया को क्या नया दिया। क्योंकि, डॉक्टर बड़ा शब्द होता है, जो हम लिखते हैं। यह बात उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने सोमवार को इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन कैंपस बने बालक छात्रावास के शुभारंभ मौके पर कही। उन्होंने कहा कि पीएचडी के बारे में बहुत धारणाएं चलती हैं। कई धारणाएं ऐसी हैं कि जेब में पैसा है तो किराए पर पीएचडी ले सकते हैं। हालांकि यह बीते जमाने की बात है। अभी तो कोई शिकायत मेरे पा नहीं आई है। लोग धनी हैं तो डॉक्टर लिख सकते हैं। पर जिन डॉक्टर साहब को हिंदी में लिखना ही सही से नहीं आता है तो ऐसे में वे बच्चों को क्या शिक्षा देंगे?
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