एक्सीडेंट में स्पाइनल इंजरी से हाथ-पैर पैरालाइज, हिम्मत ने हारते हुए घर बैठे ट्यूशन; टेली कॉलिंग से चला रहे परिवार
छोटी-छोटी शारीरिक तकलीफों से परेशान होकर निराशा में डूबे लोगों के लिए सुनील जैन, हर्ष बनौधा और हितेश खटोड़ जैसे 50 लोगों का समूह किसी मिसाल से कम नहीं है। ये वे लोग हैं, जिनकी रीढ़ की हड्डी चोटिल होने से हाथ-पैर लकवाग्रस्त (पैरालाइज) हो गए हैं। इनमें कोई 20 साल तो कोई 12 साल से व्हीलचेयर या पलंग पर है। घरवालों पर बोझ बनने की बजाय इन्होंने खुद को इस तरह तैयार किया कि अब ये लोग घर बैठे कामकाज कर परिवार की मदद कर रहे हैं। रीढ़ संस्था नाम के वाट्सएप ग्रुप से जुड़कर अब ये सभी लोग अपने अनुभव साझा करते हैं, रोजगार से लेकर कामकाज की बातें शेयर करते हैं, एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं।
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