
इस समाज में पेट की ख़ातिर हज़ारों व्यवसाय पनपते हैं। किसी न किसी तरह से पूरा समाज कुछ न कुछ बेच ही रहा है। कोई ज्ञान तो कोई शब्द, कोई अपनी मेहनत तो कोई अपना समय यहां तक की शरीर भी बिकाऊ है। इन सबके बीच कुछ ऐसा भी बिकता है, जिसकी कल्पना करना आसान नहीं है और वह है दहाड़े मारती औरतों के आंसू। इस विषय पर केंद्रित नाटक रुदाली का मंचन 16 और 17 जुलाई को शहीद भवन में किया जाएगा। जिसे संस्था त्रिकर्षि के कलाकार केजी त्रिवेदी के निर्देशन में पेश करेंगे। नाटक 'सनीचरी' की कहानी है, जो अपना साधारण सा जीवन जीते-जीते जीवन की उन सब कठिनाइयों का सामना कर बैठी, जिनकी वो कभी स्वप्न में भी कल्पना नहीं करती है।
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